• यह संघ शताब्दी वर्ष है
संघ का 101 व वर्ष चालू हो गया
• मन में प्रश्न आता है लोग पूछते हैं कैसे मनाएंगे ?शताब्दी वर्ष ?
संघ में निर्णय हुआ है संघ शताब्दी वर्ष अच्छा है ।लेकिन समाधान लायक है क्या?
• संघ निर्माता डॉक्टर हेडगेवार की इच्छा थी कि संघ का कार्य शीघ्र पूरा हो। यांची देही यांची डोला (यानी कि हिंदू समाज का संगठन हो ,आम हिंदू अनुशासित हो ,अपनी कमियां दूर करें और अपने राष्ट्र को मजबूत बनाएं)
• इसके लिए स्वयं सोचे ।यह हमारी परंपरा है हम 1500 वर्ष से आक्रमण सहते आए ,हम काफी समय युद्ध में हारे ,पराधीन बने फिर भी आज ऐसे ही दुनिया के बचे हुए राष्ट्र में से सबसे सर्वश्रेष्ठ है ऐसा क्यों?
• हमारे ज्ञान परंपरा विश्व पर श्रेष्ठ है। हमारे यहां समाज अपने आप को ठीक करता था ।भारतीय समाज परंपरा यह कभी टूटी नहीं ।लेकिन फिर से ठीक कौन करें ?यह जब प्रश्न आता है .तो डॉक्टर हेडगेवार ने कहा हम करेंगे ।
• संघ में जो है अपेक्षित है वह आम समाज में बने यही संघ की अपेक्षा है। संघ और समाज एक रूप हो ।संघ का समाज में विलीनीकरण हो जाए। यह जल्दी पूरा होना चाहिए। संघ शताब्दी में यही सब की इच्छा है ।इसके लिए पंच परिवर्तन के विषय सोचे हैं
• (१) कुटुंब प्रबोधन: कुटुंबमे आजकल संकट बढ़ते रहे हैं ।समाज जीवन में संस्कारों की कमी आ रही है। सभी कमीकी पूर्ति करना चाहिए ।
• हमारे यहां महापुरुष ,धार्मिक संत महात्मा ,विधा परंपरा और परिवार व्यवस्था जो मजबूत सुंदर संस्कारी ग्रामिया आधारित थी ।वह ठीक बनी रहे ।उदाहरण शिवाजी का निर्माण माता जीजाबाई द्वारा हुआ। बच्चों का स्नेह माता से मिलता है ,साथ-साथ संस्कार विद्या जानकारी सुरक्षा भी .
• हम परिवारों का प्रबोधन करें .विकास के साथ आया हुआ संकट का सामना करें .
• व्यक्तिवाद से बढ़े हुए प्रश्नों को ठीक करें ।परिवार में एक दूसरे के साथ बात करने का समय नहीं है ।वार्तालाप हो ।सब लोग अपने मोबाइल में मस्त रहते हैं ।परिवार में हो ट्रेन में हो बस में हो ।विचारों का आदान-प्रदान
महत्व का है ।
• साथ में बैठकर भोजन करें ।सप्ताह में एक बार घर सभा सत्संग करें ।सुख-दुख साझा करें ।अभिव्यक्ति करें ,बातें कहे और बातें सुन भी ।
• ज्ञान परंपरा हमारे संस्कार परिवार में अगली पीढ़ी में चलना चाहिए। परिवार का महत्वहै ।
• जरूर होने पर परिवारों का एकत्रीकरण, वरिष्ठ दादा दादियों का सम्मेलन, नव दंपति की संस्कार पद्धति होनी चाहिए ।
• ग्रामीण विस्तर में संयुक्त परिवार बढ़ाने चाहिए ।शहर में हो रहे विभक्ति परिवारों में भी संस्कारों की जरूरत है ।
• संप्रदाय और समाज के संगठन इस विषय में आगे चले ।
(२) सामाजिक समरसता
• हिंदू समाज में बहुत पुरानी जाति की व्यवस्था है ।सभी जातियों में एकत्व होना चाहिए ।राम मनोहर लोहिया कहते थे "जाती वह है जो कभी जाती नहीं "।
• प्राचीन रूढ़िया, छुआछूत, भेदभाव, अस्पृश्यता दूर करना । दोषदूर करना हमारा विचार है ।पुराने समय में संत रोहिदास, कबीर साहब और गुरु नानक ने यही दूर करने का प्रयत्न किया था ।
• जाति पर आधारित कोई छोटा बड़ा नहीं हॉट, छुआछूत ना हो ।सब हिंदू समाज हमारे लिए एक होना चाहिए। पूजनीय बालासाहेब देवरस ने पुणे वसंत व्याख्यान मालामें कहा था अगर अस्पृश्यता पाप नहीं है तो कुछ पाप नहीं है if untouchability is not sin, nothing is sin।
• अखंड ब्रह्मांड एक है । आत्मवत सर्वभूतेषु ।ऐसा बड़ा चिंतन करने वाले हमारे समाज में व्यवहार में बड़ी कमियां आई है ।संघ का प्रयत्न है सामाजिक समस्या निवारण हो और भेदभाव छुआछूत दूर हो ।पूजनीय सरसंघचालक जी कहते हैं सभी गांव में सबके लिए मंदिर में प्रवेश होना सबके लिए एक पानी का कुआं और श्मशान होना चाहिए ।
(३) पर्यावरण रक्षा
• नई सदी की यह बड़ी सबसे समस्या है पर्यावरण की रक्षा हो ।वृक्ष पेड़ पौधे कम हो रहे हैं ।आबादी बढ़ रही है। पृथ्वी पर उपयोग में वाले
संसाधन कम हो रहे हैं ।नदियों का जल कम रहा है ।हिमालय जैसे जहां से नदियां निकलती है ग्लेशियर कम होते जा रही है ।पटना की गंगा आचमन के लायक नहीं रही है ।सभी जल असुरक्षित और गंदा होने लगा है ।जमीन में अशुद्धियां बढ़ रही है
• बढ़ते हुए प्लास्टिक के कारण पूरा जमीन जल जंगल अशुद्ध हो रहा है ।
• हम यह प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करें ।उससे मुक्त जीवन शैली हो
• जलचर समाप्त हो रही है ।जल की शुद्धता जरूरी है ।जल का बचना भी चाहिए। जल का संचय हो ।जल प्रयोग भी संयमित हो ।अपने जीवनसे लिए जल जरूरी है।जल है तो जीवन है।
• ज्यादा से ज्यादा पेट लगाए जैसे नीम पीपल बरगद जहां से प्राण वायु ज्यादा मिलता है । छोड़ में रणछोड़ है।
• अपनी जीवन शैली में दिनचर्या में ज्यादातर मातृशक्ति ज्यादा से ज्यादा प्रकृति से बने तत्वों की उपयोग करें ।प्लास्टिक को ना कहे
(४) स्वदेशी भाव जागरण
• एक कथा है ब्रह्मा के पास कुत्ते गए और कहा भगवान अपने सभी चीज बनाई लेकिन मनुष्य शेर को हाथी को सम्मान देता है कुत्ते को नहीं। ब्रह्मा ने पूछा आप एक गांव का कुत्ता दूसरे गांव में जाता है तो उनका क्या सम्मान होता है ? कुत्तों ने कहा ना। जो एक अपने वाले को सम्मान नहीं देता उनकी हालत यह रहती है ।
• हमें अपने स्वदेशी चीजों के प्रति अपनात्व का भाव होना चाहिए ।अपना परिवार अपना गांव अपने राज्य और राष्ट्र अपनी धर्म परंपरा उत्सव और मित्र सम्मान हो।
• अगर हमारी चीजों में कुछ कमियां हैं तो उनको ठीक करें ।जैसे मिट्टी के घड़े बनाते समय कुम्हार एक अंदर रखना है एक बाहर रखना है ,कहीं भी मिट्टी कम है तो मिट्टी लगाकर उनका विस्तार करता है ।छेद है तो उनको ठीक करता है ।हमारे देश की गांव की हमारे जिले की हमारे परिवार की चीजों को ठीक करना हमाराकर्तव्य है ।
• हमारे अपने की प्रति आत्मीयता का भाव निर्माण होना चाहिए ।अपनत्व का भाव ठीक हो ।स्वदेशी भाव जागरण हो ।अपनी ज्ञान परंपरा को अपने
संस्कृति को पसंद करें। विदेशीको पसंद करते पहले दो बार विचार करें। आधुनिक पद्धति साधन।की भी जरूरत होने पर ही उनका उपयोग हो
• उदाहरण के तौर पर देखे तो आज न्यायपालिका में पूरे देश में 6 करोड़ से ज्यादा केस पेंडिंग है। क्यों? क्योंकि पद्धति ।पुराने समय घर का झगड़ा घर में ,जाती का झगड़ा जाति में ,गांव का झगड़ा गांव में और ज्यादातर जमींदार या राजा के पास सुलझ जाता था। आज की आधुनिक पद्धति ने यह सब गड़बड़ियां कीहै ।
• शिक्षा की व्यवस्था भी पुरानी अच्छी थी। बड़ोदरा के गायकवाड नरेश के भवन में आज भी पांडुलिपि की 18000 कृतियां मिलती है ।एक पेन में समा जाए इतनी शुद्ध लिखी गीता वहां है ।
• हमारी चीज श्रेष्ठ हो ।और हम उनका ही उपयोग करें। भारतीय हो भारतीय चीज का उपयोग करें ।जैसे विदेश के लोग कहते हैं Be अमेरिकन Buy अमेरिकन
(५) नागरिक शिष्टाचार का जीवन मेंप्राथमिकता
• हम नागरिक शिष्टाचार का पालन करें ।हमारे यहां अकस्मात के समय सहायक करना समाज का स्वभाव रहता है ।कोरोना में लोग मदद करने के लिए आ गए।
• लेकिन व्यक्तिगत तौर पर नियम पालन करना कैसे ?ट्रैफिक में सिग्नल का ध्यान रखना, पुलिस की सूचनाओं का पालन करना है, ट्रिपल सवारी नहीं, बेल्ट और हेलमेट लगाना, यह लोग पालन नहीं करते , जहां वहां का पार्किंग करे, रास्ते के ट्रैक का क्या उपयोग हो ।मर्यादा क्या हो उसका हम ठीक उपयोग नहींकरते हैं ।
• विदेश में दुबई जैसे कानून का हम प्रशंसा करते हैं ।लेकिन हमारे कानून हम उपयोग में नहीं लेते ।
• जापान और भूटान जैसे छोटे देशों से कुछ सीखना चाहिए ।जहां लोग अपने देश के कानून को पूरे शक्ति से पालन करते हैं ।
• हम अपने अधिकार की मांग करते लेकिन अपना भी कर्तव्य रहता है। उनका पालन करना चाहिए ।नई पेढी को यह संदेश मिलना चाहिए। और नागरिक शिष्टाचार का पालन हो ।
• शिष्टाचार के पालन की शुरुआत अपने व्यक्तिगत तौर से करें फिर अपने
परिवार में अपने अड़ोस पड़ोस गांव और देश में यह वर्तुल बढ़ते जाएं ।
ऐसे सब पांच परिवर्तन के विषय को लेकर आगे बढ़ाना है ।और संघ जैसा मॉडल समाज में विसर्जित करना है ।यह पंच परिवर्तन की समझ में हमारी अपेक्षा है। आई समाज के सज्जन शक्ति को हमसे जुड़े ।और भारत को एक विश्व गुरु के स्थान पर आगे ले जाने के लिए हमारे साथ कदम से कम चले।
( रा स्व संघके सह सरकार्यवाह मान आलोकजीके बौद्धिकमेसे चुने हुए अंश)
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