व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण
व्यक्ति निर्माणसे राष्ट्र निर्माण
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राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघका शताब्दी वर्ष आ गया
लंबी यात्रा चली है
संघ के बारेमे: संघ कार्यकर्ता, शुभेच्छक,तटस्थ, विरोधी सब इस विषयमे सहमत है कि:
• अनुशासन
• निष्ठा
• व्यवस्था
• समर्पण के बारेमे संघ जैसा कोई नहीं
गीता में बताया गया है
"अधिष्टानम तथा कर्ता करणम पृथक विधम
विविधास्ञ पृथक चेष्टा देव चैवत पंचमम "
इसमें एक ही चल है जो बदल सकता है वह है कार्यकर्ता ।यानी कि निर्मित हुए व्यक्ति स्वयंसेवक ।
व्यक्ति निर्माण क्यों?
1. समाज के अनेक प्रश्न है ।दतोपंतजी कहते थे मैं और अपने मित्र जो प्रोग्रेसिव कहा करते थे उनके मन में विचार आता था “संघ की परिभाषा में व्यक्ति निर्माण “क्या है ?शुरू में यह हमारे लिए प्रश्न था । किन्तु यह कविता बताती है की
2. Wanted a man, not the system fit and wise,
Not faith with rigid eyes, not wealth is mountain piles
Not power with gracious smiles, not even the potent pen
Wanted men
3. ग्रीस के एथेंस नगर में दोपहर के समय डायजनीस तत्वचिंतक हाथ में लालटेन लेकर घूम रहा था । क्योंकि उन्हें मनुष्य ढूँढना था।मनुष्य सब तो सब थे। उसने कहा I want the men not pigmies
4. विवेकानंद का एक वाक्य था i want man with capital M । सिर्फ दो पैर ,दो हाथ से मनुष्य नहीं होता।
संघ की कार्य पद्धति की विशेषता के कारण है जिसमें व्यक्ति का निर्माण होता है और व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण होता है ।
• संघ के स्थापक डॉक्टर हेडगेवार को कुशल संगठन कहा गया ।इसका कारण भी यही है कि ऐसे निर्माण हुए व्यक्ति जिनको हम स्वयंसेवक कहते हैं उनके द्वारा समाज का संगठन बनाना शक्य है यह प्रयोग सिद्ध होता दिखता है ।
• मन में प्रश्न आता है व्यक्ति निर्माण क्यों ?
सब लोग मानव तो है ही।
हमारे सब में गुण और तत्व पूर्व जन्म के संस्कार द्वारा आत्मा के साथ आता है ।कुछ गुण तत्व परिवार द्वारा पोषण होता है । फिर भी समाज के द्वारा और आसपास के वातावरण के द्वारा व्यक्ति में गुण निर्माण की एक विशेष प्रक्रिया चलती है । अगर यह ठीक नहीं चली तो कृष्ण जैसा व्यक्ति भी कंस बन सकते हैं (उदाहरण लेखक भाणदेवजी का पुस्तक अध्यात्म कथा)
संघ की स्थापना के पूर्व अभी व्यक्ति निर्माण का कार्य कई लोगों ने प्रयत्न किया है (१)स्वामी विवेकानंद कहते थे मुझे सो नचिकेता चाहिए(२) स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज और वेद की ओर चलो करके कीया(३) शिवाजी महाराज के गुरु स्वामी रामदास ने भी गांव-गांव में राम मंदिर और अखाड़े स्थापना करके किया (४)लोकमान्य तिलक ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए और (५)महात्मा गांधी जी ने स्वदेशी ,ग्राम स्वराज से व्यक्तियों में बदल लाने का प्रयत्न किया (६)डॉक्टर हेडगेवार ने इसी श्रृंखला में व्यक्ति निर्माण और उनके द्वारा समाज का संगठन करते हुए राष्ट्र के निर्माण के लिए एक जो नई ‘शाखा ‘नाम की पद्धति दी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम का संगठन शुरू हुआ।
मन में प्रश्न उठते हैं
• व्यक्ति निर्माण क्या है
• उनकी जरूरत क्या है
• व्यक्ति निर्माण में क्या अपेक्षित है
• व्यक्ति निर्माण से व्यक्ति में क्या परिवर्तन आता है
• वह परिवर्तन का क्या फायदा है और
• यह फायदे से राष्ट्र निर्माण कैसे होगा
व्यक्ति में सकारात्मक परिवर्तन करके गुणोकी वृद्धि करना और उन में रही मर्यादा को दूर करना ।ऐसे करते हुए व्यक्ति समाज उपयोगी होकर स्व से उठकर सृष्टि और परमेष्टीकी ओर अपना योगदान दे ।यह व्यक्ति निर्माण है।
व्यक्ति निर्माण में क्या अपेक्षित होता है?
व्यक्तिको बनाना ,धर्मप्रवण का निर्माण करके व्यक्ति के चेतना का स्तर बढ़ाना ।ऐसे धर्मप्रवण व्यक्ति मानस वाले समाज के द्वारा धर्माधिष्ठित समाज रचना करना।
• अच्छे गुणोका निर्माण अवगुण और मर्यादाओं को निकालना
• उदाहरण शिल्पी मूर्ति बनाने वक्त पत्थर अच्छी चीज़ बहार निकालता है और बिनउपयोगी दूर करता है।
• व्यक्ति में स्वार्थ की भावना कम हो और व्यक्ति परिवार से समाज ,राष्ट्र ,विश्व ,सृष्टि और परमेश्ष्टीकी ओर अपनी यात्रा करे और योगदान दे
• ऐसे परिवर्तित व्यक्तियों के समूह के द्वारा राष्ट्र की उन्नति हो सकती है (भगिनी निवेदिता का निवेदन और रविंद्र नाथ टैगोर का स्वदेशी समाज में उल्लेख)
• समाज के लिए संवेदना निर्माण हो और करुणा से भाव के लेकर नीचे के स्तर पर रहे समाज को ऊपर उठाने में अपना योगदान देना
• अपने जैसे अन्य व्यक्तियों को जोड़कर संगठन को मजबूत करना
• कोई भी काम अकेले ना करते हुए सब लोगों को साथ लेकर काम करना
• अपने काम में प्रमाणिकता का भाव हो
• शुद्ध चरित्र और शील बना रहे
• स्वदेशी का भाव और व्यवहारिक देशभक्ति जीवन में आए
• समाज के प्रति आत्मीयता का भाव प्रेम बना रहे
• सभी कार्यों में मैं नहीं तू ही का भाव हो
• अपने सभी कार्यों में राष्ट्र प्रथम यही भाव बनारहे
• राष्ट्र की अखंडता सर्वांगीणता उत्कर्ष और सुरक्षा के लिए अपने जीवन की हर क्षण काम आए
• व्यक्तिगत छोटी-छोटी आदतें जैसे की अस्वचाता ना करना कुछ चीज का बिगाड़ा न हो एक स्थान पर अधिक समय नहीं रहना सब चीज समय पर लौटना वायु वृद्धि को मदद करना आभार व्यक्त करना श्रमीजनों को सहायक करना यह छोटी मामूली बातें व्यक्ति निर्माण के लिए बहुत-बहुत बधाई है
• कई बार हमें आंख है लेकिन दृष्टि नहीं होती पूजनीय गुरु जी की माता ताई जी
संघ में व्यक्ति निर्माण कैसे होता है
- संघ जीवंत संगठन है जैसे जीव कोष जीवंत है और जुड़ते अंग बनता है।वैसे व्यक्ति भी जीवंत है जुड़ते ऑर्गेनाइजेशन संगठन बना होता है
- देनं दिन शाखा की पद्धति और अन्य क्रियाकलाप से व्यक्ति में धीरे-धीरे बादल आता है यह प्रक्रिया धीरे है ।दिखती नहीं सूक्ष्म है जैसे जीव कोष के विकास में ,बालक धीरे-धीरे बड़ा होता है और वनस्पति का छोड़ धीरे-धीरे वृक्ष बनता है लेकिन बहार मालुम नहीं होता।
- संघ में एक साथ संपद कहते हुए समानता का भाव निर्माण होता है यही समाज के लिए व्यक्ति को ऊपर उठाता है।
- मैं भारत माता का पुत्र हूं और मेरे देश की नियति विश्व कल्याण की है ।यह भाव संघ की छोटी-छोटी बातों में पाया जाता है
- संघ की शाखों में खेले जाते खेल कवायत वार्ता कथन गीत सुभाषित बौद्धिक और अन्य सभी कार्यक्रमों से व्यक्ति निर्माण के बीज बोए जाते हैं ।
- संघ के हर कार्यक्रम में प्रबोधन के अलावा व्यक्ति का आचरण महत्व का है ।एक के आचरण से दूसरा सीखता है।
- संघ के प्रशिक्षण वर्गों में यही बताता है जाता है कि मैं संघ का स्वयंसेवक क्यों बना हूं
- अपने धर्म संस्कृति और राष्ट्र के लिए काम करने के लिए हर पल विचार होता है
- संघ की प्रार्थना और प्रतिज्ञा में भी यही भाव पाया जाता है
व्यक्ति निर्माण के लिए हमें क्या-क्या करना चाहिए?
• नये आए हुए व्यक्ति के साथ सजगता से व्यवहार करना चाहिए ।handle with care.छोटी-छोटी बातों से प्रेरणा भी मिलती है और अच्छे शब्द न होने से नाराजगी भी होती है
• अपने आचरण से बताने से प्रभाव होता है उदाहरण संघ शिक्षा वर्ग में शिक्षक ने शिक्षार्थी के बर्तन मांझे
• सभी में रहे गुण को बाहर निकालने की प्रक्रिया करनी चाहिए ।व्यक्तिगत संपर्क सहवास और साथ-साथ घूमते रहने से बातों बातों में उनमें रहे अच्छे गुण का मालूमात होता है ।
• नई चीज़ सीखने के लिए प्लांटेशन भी करना चाहिए छोटी चीजों से व्यक्ति को बड़े महत्व के पाठ सिखाए जाते हैं
• समाज के लिए संवेदना निर्माण करने के लिए हम सेवा बस्ती में जाते हैं उदाहरण कर्णावती के स्लम एरिया में एक कागज और पूरा कचरा इकट्ठा करने वाले लोगों के साथ मशवरा
• सभी चीज अच्छी चीज व्यक्ति में होती है उनको बाहर निकलने का काम हमें करना चाहिए स्वामी विवेकानंद कहते थे मेनिफेस्टेशन आफ परफेक्शन विच इस ऑलरेडी लायींग इनसाइड
• Golden Buddha खोलना पड़ेगा
• श्रद्धा आस्था को निर्माण करना ।अपने कार्य और उपस्थिति के बारे में ।उदाहरण गुरुजी ने कहा I will begin from beginning.विनोबा की कहानी भिखारी की निष्ठा ट्रेन का अनुभव
• वज्रदपी कठोरानी, मृदुनि कुसुमादि, उदाहरण डॉक्टर साहब ने यादव राव जोशी को घर में रखकर सिखाया।
• व्यक्ति में रही स्किल और वैल्यू दोनों को बढ़ाना ।स्किल को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण प्रबोधन वांचन और परिश्रम। मूल्य यानी वैल्यू बढ़ाने के लिए भी कुछ करना चाहिए उदाहरण नरेंद्र भाई पंचासराने “संघ शिक्षा वर्ग में कहा “भक्ति भाव निर्माण हो ।नागपुर के कार्यकर्ता ने किराए पर रखा मकान तुरंत किंतु मकान मालिकने मांगने पर मुँदते पहले अपनी मुश्केली सहन करते हुए खाली करदिया ।
• स्वामी विवेकानंद कहते थे एवरी साउंड इस पोटेंशियल डिवाइन
• बार-बार मिलना और पारिवारिक भाव निर्माण करना
• To meet is to know
To know is to understand
To understand is to love
संघ द्वारा व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण में सहयोग वाले कुछ उदाहरण
• संघ में सिर्फ शास्त्रार्थ बोध नहीं होता, तोता रटन और शब्दांडंबर नहीं होता ,वाणी विलास भी नहीं
• संघ में तत्वज्ञान को आचरण में लाना होता है
• संपूर्ण हिंदू समाज का संगठन करना है वह भी उपयुक्त प्रभावी और एकमात्र पढ़ती संघ पद्धति से ही संभव है
• We have developed work mechanism, work culture
-मनाली गांव की शाला में मिलना हुआ विद्यार्थी जो वहां पढ़कर कश्मीर की बॉर्डर की बारामूला के स्कूल में शिक्षक बनकरगया
-किशन सिंह राजपूत ने 40 फीट ऊंचे ध्वज दंड पर से फंसे -हुए ध्वज को ठीक किया
-चिरका मुर्मु के बंगाली मुख्य शिक्षक ने बांग्लादेश के सैनिकों के सामने अपने सैनिकों को गोला बारूद पहुंचते हुए अपनी जान दे दिया ।
-कच्छ की धरती काम में अंजार के स्वयंसेवक धरतीकंपके समय भुज में काम करते रहे बाद में पता चला घर पर उनके पुत्र का भी निधन हुआ है
-मोरबी के मच्छु डैम टूटने पर हुई जल होनारत में होने चाहिए अपना घर छोड़कर काम करने के लिए तैयार हो गए
-सेवा प्रमुख ने अपना व्यवसाय बंद कर कर पूरा समय संघ के लिए देने का तैयार कर दिया
-छोटी कमाइवाले कार्यकर्ता के घर में घर अंतिम दिन पर तेल नहीं आता था लेकिन प्रेस मशीन के लिए अपनी बचत के पैसे दे दिए
-अपने घर में अकेला पुत्र पिता के निधन के बाद भी प्रचारक निकलता है
-अपने खड़े किए हुए काम के साथ कुछ लगाओ नहीं रखना एकनाथ जी रानडे
-विश्वसनीयता और प्रमाणिकता का महत्व कितना है एक ढब्बु का हिसाब ना मिलने पर गुरुजी अस्वस्थ थे क्योंकि जो पैसे हमने व्यवस्था प्रमुख से लिए थे
उपसंहार
• निर्मित व्यक्ति की हर जगह जरूरत है नखत्राणामें दलित संतने कहा मुझे महंत चाहिए
• वर्धा के लाइफस्टाइल सेमिनार के आयोजक ने कहा हमें कुछ अच्छे व्यवस्थापक चाहिए
• विनोबा भावे पवन आश्रम से भूदान यात्रा जाते समय अपने कार्यलय पवनार का हिसाब देखने के लिए अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख प्रश्न बापटजी को कहा
• तत्वज्ञान को व्यवहार में लाना बहुत महत्व का है जिससे रविंद्र नाथ टैगोर को सुनने के लिए जापान में कोई नहीं आए
• कलकर जी ने कर्म चाय में पानी डालकर पी लिया
यह सब उदाहरण संघमे पाया जाता है की कैसे व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण होता है।

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