नेत्रालय कर्णावती अस्पतालके १५ वर्ष




 


 




र्णावती में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके पुराने स्वयंसेवक और भारत विकास परिषदकी टीम में जुड़े हुए डॉक्टर जगदीश भाई राणा और उनके पुत्र डॉ पार्थ राणा और उनके डॉक्टर मित्रो के द्वारा बनी हुई नेत्रालय नामकी सुपर स्पेशलिस्ट नेत्रों की अस्पताल को 10 साल पूर्ण हुए इस अवसर पर एक समारंभ रखा गया था। कर्णावती में ताज स्काई लाइन होटल में सभी साथ में काम कर रहे चिकित्सा मित्र और उनके परिवारजन ,संघ के स्वयंसेवक मित्रों और भारत विकास परिषद में काम कर रहे कार्यकर्ता गणकी उपस्थित थे ।

       नेत्रालय अस्पताल में चल रहे विविध प्रकार की सुपर स्पेशलिटी ट्रीटमेंट के बारे में वीडियो दर्शन शुरू में कराया गया। उपस्थित फंक्शन में डॉक्टर दिनेश अमीनने जगदीश राणा और सभी के कार्य की प्रशंसा की ।उनके गुरुजनोंने भी उनके बारे में कहा ।डॉक्टर पार्थके गुरु डॉक्टर मेहुल सहने उनके बर्मी बताया।

         अस्पताल हो उनका नाम नेत्रालय हो या दृष्टि अस्पताल हो तो सही अर्थ में उनका अर्थ काममें भी  है। हमारे शरीर में सभी अंगों का महत्व है लेकिन इसमें नेत्र सभी से ऊपर रहता है ,जिनके बिना दुनिया देखना संभव नहीं है। हमारे देश में नेत्रों के विविध प्रकार के मरीज पाए जाते हैं ।अंधत्व का प्रमाण भी काफी बहुत बड़ा है ।लेकिन विशेष काम करने वाले चिकित्सालय बहुत कम है। इसमें से यह नेत्रालय का यशभाग यशस्वी है। गुजरात में देखा जाए तो डॉक्टर माथुर साहब, डॉक्टर नागपाल साहब ,डॉक्टर मेहुल भाई और वीरनगर शिवानंद हॉस्पिटल के डॉक्टर का बार-बार नाम लिया जाता है ।

        डॉक्टर जगदीश भाई भारत विकास परिषद से जुड़े हैं जो संघ विचार की सेवा करने वाली पारिवारिक संस्था है ।वैसे संघके स्थापक भी डॉक्टर हेडगेवार चिकित्सक ही थे ।उनकी परंपरा में यह परिवार काम कर रहा है ।जगदीश भाई चिकित्सक के साथ इंजीनियरिंग का भी काफी कुछ ज्ञान रखते हैं ।उन्होंने catract  मोतीबिंद के लिए Double tooth phaco choper नाम  एक साधन बनाया है ।इनकी पेटेंट भी ली है लेकिन उन्होंने उनका उपयोग करने में कुछ रॉयल्टी नहीं लेते हैं ।

       चिकित्सा के क्षेत्र में समाज के लिए सेवा भाव से काम करने वाले बहुत कम लोग मिलते हैं ।इसमें यह नेत्रालय की गणना हो सकती है ।सुसंस्कारीत स्वास्थ्य सेवा का बहुत महत्व है ।स्किल और टेक्नोलॉजी के साथ एथिक्स और मोरल वैल्यू कम नहीं होनी चाहिए ।और हमें विज्ञान ,अपने व्यवसाय, समाज, 

 

अपने आप खुद और संस्था के प्रति वफादार रहना चाहिए ।यही मैसेज ऐसे कार्यक्रमों में से चिकित्सक समाज में जाए तो आने वाले समय में चिकित्सक और समाज के बीच पड़ी हुई दरार कम हो सकती है । स्वस्थ समाज निर्माण हो। स्वास्थ्य सेवा राष्ट्र सेवा है।

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